भारत की समुद्री सीमा की सुरक्षा के लिए सरकार अलग से करेगी अधिकारी नियुक्त
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने भारतीय समुद्री सीमा की सुरक्षा और निगरानी के लिए अलग से एक अधिकारी की नियुक्ति की योजना बनाई है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि कारगिल युद्ध के समय गठित मंत्री समूह ने इसे लेकर सिफारिश की थी, जिस पर दो दशक बाद नरेंद्र मोदी सरकार अमल करते हुए राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक (एनएमएससी) का पद बनाने की तैयार कर रही है। एनएमएससी सिविल और सैन्य समुद्री मामलों के बीच कोआर्डिनेशन का काम करेगा।
एनएमएससी, एनएसए के अधीन काम करेगा और समुद्री सुरक्षा मामले पर सरकार का प्रमुख सलाहकार होगा। मीडिया के मुताबिक साउथ ब्लॉक में तैनात सूत्रों के अनुसार, रक्षा और सैन्य मामलों के मंत्रालय ने एनएमएससी पद के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मांगी है और इस बात की पूरी संभावना है कि पहला एनएमएससी भारतीय नौसेना के सेवारत या हाल ही में सेवानिवृत्त वाइस एडमिरल को नियुक्त किया जाएगा। एनएमएससी की मांग दशकों से लंबित है। कारगिल जीओएम ने इसकी सिफारिश की थी और इसकी आवश्यकता सबसे अधिक साल 2008 में मुंबई हमले के दौरान महसूस की गई थी। उस समय कराची में आईएसआई द्वारा निर्देशित 10 पाकिस्तानी लश्कर-ए-तैयबा आतंकियों ने मुंबई में घुसपैठ की और तबाही मचा दी थी।
एनएमएससी की नियुक्ति आज के समय की मांग है क्योंकि नौसेना, तटरक्षक और राज्य समुद्री बोर्ड सभी एक दूसरे के साथ काम करते हुए एक दूसरे के क्षेत्र में काम करते हैं जिसके चलते कई बार दिक्कतें खड़ी हो जाती हैं। भारत में नौ राज्य और चार केंद्रशासित प्रदेश तटीय हैं। इनका मानना है कि समुद्री और तटीय सुरक्षा केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। उधर, चीन समुद्र आधारित सुरक्षा सिद्धांत की ओर बढ़ रहा है। वह पाकिस्तान और म्यांमार के जरिए हिंद महासागर में अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रहा है।
एनएमएससी का पद समुद्री और ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण होगा क्योंकि बीजिंग भारतीय समुद्री क्षेत्र के माध्यम से अफ्रीका के पूर्वी समुद्री हिस्से तक पहुंचने की योजना बना रहा है। एनएमएससी की नियुक्ति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक्ट ईस्ट पॉलिसी, सागर, डीप ओशन मिशन और सागरमाला परियोजना के भारत के 12 प्रमुख बंदरगाहों को विश्व स्तरीय बनाने के के नजरिए का अहम हिस्सा है।