सीमा पर कई इलाकों में आमने-सामने भारत चीन की सेनाएं
नई दिल्ली । पूर्वी लद्दाख में ठीक एक साल पहले उपजे सीमा विवाद को हल करने के लिए भारत और चीन की सेना ने वार्ता शुरू की लेकिन दोनों ही ओर से अभी तक विवाद वाले इलाकों के हल के लिए कोई ठोस समझौता नहीं हो सका है।
दोनों देशों की सेनाओं के बीच अब तक 11 दौर की वार्ताएं हुई हैं। हालांकि, इसका एकमात्र सबसे बड़ा हासिल इस साल फरवरी मध्य में पैंगोंग त्सो झील के पास से सैनिकों की वापसी रहा है।
दोनों देशों के बीच बीते साल 6 जून से अब तक 11 बार कॉर्प्स कमांडर स्तर की बातचीत हुई है। एक सूत्र ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया, ‘टकराव की अन्य जगहों से सैनिकों की वापसी अभी तक बाकी है। हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देपसांग को लेकर अभी तक हुई वार्ता में कुछ बड़ा हासिल नहीं रहा है। अभी भी इनपर वार्ता जारी है। हम चीनी पक्ष से इसका हल खोजने के लिए आगे भी वार्ता करते रहेंगे।
लद्दाख थिएटर में दोनों देशों की सेनाओं के 50 हजार से 60 हजार जवान मौजूद हैं और पैंगोंग त्सो में सैनिकों की वापसी के बाद अभी तक इन इलाकों में सेना की तैनाती कम नहीं हुई है।
बीती 28 मई को आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा था कि एलएसी के एकदम सटे हुए इलाकों में चीनी सेना लगातार अपने जवान और टैंक जैसी युद्धक सामग्रियां तक तैनात कर रही हैं। ये इलाके एलएसी से महज 150-200 किलोमीटर की दूरी पर हैं। हालांकि, इस दौरान आर्मी चीफ ने यह भी कहा था कि हर दौर की वार्ता के बाद परिणामों की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। उन्होंने इसके लिए पैंगोंग त्सो का उदाहरण भी दिया, जहां 9 बार की बातचीत के बाद सैनिकों की वापसी को लेकर सहमति बनी थी। भारतीय सेना का ध्यान फिलहाल हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देपसांग जैसे इलाकों से चीनी सेना को पीछे हटाना है। हालांकि, चीन अप्रैल 2020 से पहले की यथास्थिति पर वापस जाने को तैयार नहीं हैं।
देपसांग में चीनी सैनिकों की भारी तैनाती के कारण भारतीय सैनिकों के रूट पर भी असर पड़ा है। इनमें पट्रोलिंग पॉइंट 10, 11, 11-ए, 12 और 13 शामिल हैं। दोनों देशों की सेनाओं के बीच 6 जून 2020 को पहली बार वार्ता हुई थी। हालांकि, 15 जून 2020 को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद विवाद इतना बढ़ा कि वार्ता के कुछ सफल परिणाम आने की उम्मीद लगभग न के बराबर हो गई थी। इस हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। चीन ने अभी तक इस झड़प में मारे गए अपने सैनिकों का सही-सही आंकड़ा सार्वजनिक नहीं किया है।