मसूरी: 25 साल से रह रहे 84 परिवार कल हो जायेंगे बेघर
रिपोर्ट: प्रेम सिंह
मसूरी: देहरादून और आस-पास के क्षेत्रों में अतिक्रमण, अवैध कब्ज़ों की दास्ताँ अब आम हो चुकी है। समय रहते प्रशासन जब इन कब्जों पर कार्रवाई नहीं करता तब देर-सवेर जब तक इन पर कार्रवाई का नंबर आता है, तब तक कई लोगों की ज़िन्दगी इन भूमि के टुकड़ों के साथ जुड़ जाती है और फिर यकायक उनकी ज़िन्दगी में उथल-पुथल मच जाती है।
राजधानी की खूबसूरत वादियों में बसी मसूरी – यहाँ के मजदूरों की एक बड़ी आबादी के लिए सोमवार की सुबह एक तूफान से कम नहीं होगी। शिफन कोट में रहने वाले 84 परिवार सोमवार यानि 24 अगस्त को नगर पालिका द्वारा सुबह ही बेघर कर दिए जांयेंगे। नैनीताल हाई कोर्ट ने इस इलाके में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण माना है।
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2018 में उच्च न्यायालय में पालिका द्वारा सरकारी भूमि पर रहने वाले सभी परिवारों पर अतिक्रमण करने का आरोप लगाया था। इस सन्दर्भ में 17 अगस्त को हाई कोर्ट ने आदेश देकर सभी को शिफन कोट से हटाने के निर्देश दिए जिसके लिए रविवार को उप-जिलाधिकारी के नेतृत्व में अधिशासी अधिकारी पालिका, पुलिस क्षेत्रीय अधिकारी – मसूरी, पुलिस प्रभारी कोतवाली व सरकारी अमले ने मौके पर पहुँच कर उन्हें सरकारी जमीन खाली करने के आदेश दे दिए हैं।
वहीं इन सभी 84 परिवारों को वैकल्पिक व्यवस्था के लिए गुरुद्वारा और लक्ष्मीनारायण मंदिर में रहने की व्यवस्था की गई है। ये मजदूर जो यहाँ पिछले 25 सालों से रह रहे हैं, कल 24 अगस्त को 9 बजे पुलिस फ़ोर्स की देख रेख में इन्हें हटाया जायगा।
ज़ाहिर है इन 25 सालों में इनका वजूद एक वोट बैंक से ज्यादा कुछ भी नहीं रहा। अब इनका सवाल है कि जिन्हें वोट दिया, वो रहनुमा कहाँ हैं?