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रुड़की: मासूमों का रोज़ा – दुआ कोरोना ख़ात्मे की

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पांच साल के दो जुड़वा भाई-बहन ने रोजा रखा और कोरोना के ख़ात्मे की दुआ मांगी। बच्चों की मासूमियत पर हर कोई प्यार लुटा रहा है।

रिपोर्ट: मुर्सलीन अल्वी

ख़ास बात:

  • छोटे से भाई-बहन का ये मासूम अंदाज़
  • कोरोना ख़ात्मे के लिए मासूमों ने रखा रोज़ा
  • मात्र 5 साल के हैं शायना और रायान
  • रोज़े की नीयत कर रोज़ा मुक़म्मल किया

रुड़की: छोटे बच्चे भगवान का रूप होते हैं, उनके मासूम दिल से निकली दुआ कभी खाली नहीं जाती। लॉकडाउन में स्कूल व ट्यूशन की छुट्टियां होने से बच्चों की शरारतें बेशक बढ़ गई हैं, मगर उनकी मासूमियत वही है। बड़े अपने रोजगार और ज़रूरी कामों को लेकर जहां लॉकडाउन खत्म होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, तो वहीं बच्चों के दिल-ओ-दिमाग पर भी यह बात छाई हुई है कि कब लॉकडाउन खत्म हो और कब हम अपनी मस्ती भरी जिंदगी में लौटें – जहाँ स्कूल हो, सैर सपाटा हो, दादी-नानी का घर हो और हो शाम को गली में दोस्तों के साथ खेलना।

रहमतों और बरकतों का महीना – माह-ए-रमज़ान। पांच साल के दो जुड़वा भाई-बहन ने रोजा रखा और कोरोना के ख़ात्मे की दुआ मांगी। बच्चों की मासूमियत पर हर कोई प्यार लुटा रहा है। सभी चाहते हैं कि ईश्वर, अल्लाह, भगवान इन दोनों बच्चों की दुआ जल्द कुबूल करे। बच्चों ने अपने माता पिता से ज़िद की और पूरे तरीके के साथ रोज़ा रखा। दोनों मासूम बच्चों ने पहले सहरी खाई और फिर रोज़े की नीयत करके पूरे दिन भूखा-प्यासा रहकर रोज़ा मुकम्मल किया। बच्चों का कहना है कि उन्होंने ये रोज़ा इस लिए रखा है ताकि देश से कोरोना का ख़ात्मा हो।

बच्चों के माता पिता ने बताया कि उनके ये दो जुड़वा बेटा और बेटी है जो आने वाली 5 मई को पांच साल के हो जाएंगे। बच्चो ने पहले रोज़ा रखने की ज़िद की और ठीक सहरी के समय उठ गए और पूरे परिवार ने एक साथ सहरी खाई। इसके बाद माता पिता को लग रहा था कि बच्चे बीच मे ही शायद रोज़ा तोड़ देंगे, लेकिन दोनों बच्चों ने हिम्मत दिखाते हुए पूरे दिन का रोज़ा मुकम्मल किया और पूरे परिवार के साथ रोज़ा इफ्तार किया। बच्चों ने बड़े मासूम अंदाज में बताया कि उन्होंने रोज़ा इस लिए रखा है ताकि हमारे देश से कोरोना वायरस का खात्मा हो, इसके लिए बच्चो ने अल्लाह से दुआ भी मांगी।

रुड़की के देव इन्क्लेव डिफेंस कॉलोनी के रहने वाले इस परिवार को मुबारकबाद मिल रही है। माता पिता बच्चों पर गर्व कर रहे है और बड़े बच्चों की हिम्मत को सराह रहे है। इस गर्मी में जहां बड़े भी रोज़ा रखते हुए सोचने पर मजबूर हो रहे है वही इन मासूमों ने रोज़ा रखकर बड़ो के लिए एक नसीहत पेश की है। ऐसे में इन नन्हें बच्चों का हौसला काबिल-ए-तारीफ है।