गांव कनेक्शन: ईगास बग्वाल अपने गांव में
ख़ास बात:
- ईगास बग्वाल या इकाशी बग्वाल उत्तराखंड के सभी अंचलों का प्रमुख लोकपर्व है, जो दीपावली के 11 दिन बाद मनाया जाता है।
- इस साल ये पर्व 8 नवंबर को मनाया जायेगा।
- अपना वोट-अपने गांव अभियान के तहत बलूनी लंबे समय से पलायन के खिलाफ अभियान चला रहे हैं।
देहरादून: उत्तराखंड में पलायन एक बड़ी समस्या है। पलायन की वजह से उत्तराखण्ड के सैकड़ों गांव घोस्ट विलेज घोषित हो चुके हैं। उत्तराखंडी की जड़ों, संस्कृति और पूर्वजों की विरासत को सहेजकर रखना इस वक़्त एक बड़ी चुनौती है। प्रदेश में पलायन रोकने के लिए राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने एक और मुहिम शुरू की है। अनिल बलूनी इस बार का ‘ईगास बग्वाल’ त्योहार अपने पैतृक गांव में मनायेंगे। अनिल बलूनी की इस पहल का जागर सम्राट पद्मश्री प्रीतम भरतवाण और पर्वतारोही बछेंद्रीपाल ने समर्थन किया है। आगामी 8 नवंबर को बलूनी अपने-अपने गांवों में ईगास बग्वाल मनायेंगे।
ईगास बग्वाल या इकाशी बग्वाल उत्तराखंड के सभी अंचलों का प्रमुख लोकपर्व है, जो दीपावली के 11 दिन बाद मनाया जाता है। इस साल ये पर्व 8 नवंबर को मनाया जायेगा। इससे पहले अनिल बलूनी की ‘अपना वोट, अपना गांव’ मुहिम को काफी जनसमर्थन मिला है। राज्यसभा सांसद बलूनी ने उत्तराखंड के महत्वपूर्ण और वरिष्ठ पदों पर आसीन लोगों से भी ईगास बग्वाल अपने-अपने गांव में मनाने की अपील की है। उन्होंने इस विषय में देशभर में उत्तराखंड की प्रवासी संस्थाओं, विदेशों में रहने वाले उत्तराखंडी लोगों से अपील की है।
कनाडा की कंजरवेटिव पार्टी के सांसद के उम्मीदवार मुरारीलाल थपलियाल भी इगास बगवाल उत्तराखंड आकर अपने गांव में मनायेंगे। इनके अलावा उत्तराखंड के प्रतिष्ठित लोक गायक और जागर सम्राट पद्मश्री प्रीतम भरतवाण और विश्वविख्यात पर्वतारोही पद्मभूषण बछेंद्री पाल इस वर्ष अपने गांव उत्तरकाशी में ईगास बग्वाल मनाएंगी। अपना वोट-अपने गांव अभियान के तहत बलूनी लंबे समय से पलायन के खिलाफ अभियान चला रहे हैं।
इस सन्दर्भ में वे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, सेना प्रमुख विपिन रावत, गीतकार और लेखक प्रसून जोशी, अंडमान निकोबार के लेफ्टिनेंट गवर्नर और पूर्व नौसेना प्रमुख डीके जोशी सहित अनेक प्रमुख उत्तराखंडियों से मुलाकात कर चुके हैं।