December 22, 2024

Newz Studio

सरल और संक्षिप्त

कुपोषण से मुक्ति – किस प्रकार?

सितारगंज ब्लॉक में 58 बच्चे अतिकुपोषित तो 500 बच्चे कुपोषित पाए गए हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है आखिर कैसे कुपोषण से निजात मिल सकेगी?
कुपोषण से मुक्ति – किस प्रकार?

कुपोषण से मुक्ति – किस प्रकार?

कुपोषण से मुक्ति – किस प्रकार?
टीम न्यूज़ स्टूडियो

ख़ास बात

  • सितारगंज ब्लॉक में 58 बच्चे अतिकुपोषित तो 500 बच्चे कुपोषित पाए गए।
  • कुपोषण के प्रति रैली निकालकर एक जागरूकता अभियान चलाया गया।
  • बीते वर्ष 327 बच्चों को कुपोषण से मुक्त कराया गया था।

सितारगंज: आज के दौर में जहाँ कुपोषण जैसी मूल समस्या के प्रति जागरूकता हेतु कई प्रकार के अभियान चलाये जा रहे हैं, वहीं, सितारगंज ब्लॉक में 58 बच्चे अतिकुपोषित तो 500 बच्चे कुपोषित पाए गए हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है आखिर कैसे कुपोषण से निजात मिल सकेगी?

देश का भविष्य कहे जाने बाले बच्चे कुपोषण के शिकार हैं, जबकि आवश्यक पोषण न सिर्फ बच्चों का अधिकार है, बल्कि एक विकासशील देश की मूल नीतियों में सबसे ऊपर स्थान पाता है । ऐसे में कुछ तो कारण है जिसके चलते सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बाबजूद आज भी बच्चे कुपोषित और अतिकुपोषित पाए जा रहे है अगर सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का क्रियान्वन सही दिशा में हो रहा है, तो ये आंकड़े ऐसे क्यों हैं, यह विचारणीय है।

सितारगंज में कुपोषण के प्रति रैली निकालकर एक जागरूकता अभियान चलाया गया। रैली के दौरान सभी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को शपथ भी दिलाई गई। परियोजना अधिकारी ने बताया कि बीते वर्ष 327 बच्चों को कुपोषण से मुक्त कराया गया था। इस बार भी कुपोषण दूर करने का लक्ष्य रखा गया है।

रैली का शुभारंभ जिला कार्यक्रम अधिकारी उदय प्रताप सिंह और बाल विकास परियोजना अधिकारी डॉ मंजू लता यादव ने हरी झंडी दिखाकर किया। रैली  परियोजना कार्यालय से शुरू होकर नकुलिया चौराहे से परियोजना कार्यालय में समाप्त हुई व इसमें क्षेत्र की सभी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने हिस्सा लिया।

परंतु ऐसे अभियानों के मायने क्या समझे जाएं। हकीकत को समझा जाए तो ऐसे अभियानों की जरूरत शहरों से ज्यादा गांवो में है बाजारों में रैली निकालकर किसे जागरूक किया जा रहा है? जबकि जरूरत ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को कुपोषण के प्रति जागरूक करने की है। आज भी सितारगंज ब्लॉक में 58 बच्चे अतिकुपोषित है और 500 बच्चे कुपोषित की श्रेणी में है आखिर ऐसा क्यों है? क्या जागरूकता अभियान सही दिशा में नहीं चलाये जा रहे है?