उत्तराखंड में Green Transportation को बढ़ावा, हाइब्रिड वाहनों पर मिलेगी टैक्स में छूट

पुष्कर सिंह धामी मंत्रिमंडल ने प्रदेश में वाहनों से हो रहे प्रदूषण को कम करने, हरित परिवहन और सुरक्षित यात्रा को बढ़ावा देने को दो महत्वपूर्ण निर्णय किए। हाइब्रिड वाहन यानी पेट्रोल व बैटरी से चलने वाले वाहनों को पंजीकरण के दौरान लिए जाने वाले वन टाइम टैक्स में छूट दी जाएगी।
इससे संबंधित प्रस्ताव को मंत्रिमंडल ने हरी झंडी दिखाई। साथ ही स्वच्छता परिवर्तन गतिशीलता नीति में संशोधन को मंजूरी दी है। इससे अपने पुराने वाहनों को कबाड़ कर नए इलेक्ट्रिक, सीएनजी अथवा बीएस-सिक्स वाहन लेने वालों को इसकी एवज में मिलने वाली सब्सिडी को उनके खातों में भेजा जाएगा। राज्य सरकार लगातार प्रदूषण नियंत्रण व स्वच्छ पर्यावरण पर जोर दे रही है। इस कड़ी में कम प्रदूषण फैला रहे वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इनमें हाइब्रिड वाहन भी प्रमुख हैं।
प्रदेश में इस समय तकरीबन 750 हाइब्रिड वाहन पंजीकृत हैं। यह बिक्री अपेक्षाकृत कम है। इसका प्रमुख कारण यहां इन वाहनों के पंजीकरण में वन टाइम टैक्स लगना है। यह टैक्स वाहन की कुल कीमत का 10 प्रतिशत तक होता है। उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में इन वाहनों के पंजीकरण में लिए जाने वाले शुल्क में छूट हैं। इन वाहनों की कीमत अधिक होने के कारण इन वाहनों के खरीदार दूसरे राज्यों में वाहन खरीद रहे हैं। ऐसे में परिवहन विभाग ने राज्य में भी इनका पंजीकरण शुल्क माफ करने का प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष रखा। जिसे मंजूरी मिल गई है। स्वच्छता परिवर्तन गतिशीलता नीति देगी नए प्रदूषण मुक्त वाहनों को बढ़ावा राजधानी देहरादून में बीते वर्ष शुरू की गई स्वच्छता परिवर्तन गतिशीलता योजना के अंतर्गत अब आवेदकों को आखिरकार बीएस-छह अथवा सीएनजी वाहनों की खरीद पर अनुदान सीधे उनके खातों में मिल सकेगा। मंत्रिमंडल ने यह निर्णय लिया। अभी तक यह योजना लाभार्थियों को लाभ देने के लिए एस्क्रो अकाउंट की बाध्यता के चलते प्रभावी नहीं हो पा रही थी। एस्क्रो अकाउंट से एक साथ कई प्रस्तावों के अनुदान पर स्वीकृति मिलती है। चूंकि यहां एक-एक कर आवेदन आ रहे थे, तो एस्क्रो अकाउंट की बाध्यता के कारण इसका लाभ नहीं मिल पा रहा था। अब इसके स्थान पर एसएनए अकाउंट को खोलने को मंजूरी दी गई है। यह सिंगल नोडल एजेंसी अकाउंट है। इससे एक-एक कर आवेदकों को अनुदान दिया जा सकता है। राजधानी में इस योजना के सफल होने पर इसे प्रदेश के अन्य जिलों में भी लागू किया जाएगा। क्या है स्वच्छता परिवर्तन गतिशीलता नीति इस नीति अनुसार यदि कोई वाहन स्वामी वाहन स्क्रैपिंग प्रमाण पत्र प्रस्तुत करता है और वैध परमिट समर्पित करता है तो उसे सीएनजी व वैकल्पिक ईंधन की 25 से 32 सीटर बस खरीदने पर 50 प्रतिशत अथवा अधिकतम 15 लाख का अनुदान दिया जाएगा।
यदि कोई बिना वाहन स्क्रैप किए वैध परमिट समर्पित करता है तो उसे सीएनजी अथवा वैकल्पिक ईंधन बस खरीदने पर कीमत का 40 प्रतिशत, अधिकतम 12 लाख रुपये का अनुदान दिया जाएगा। ऐसे वाहन चालक अपनी पुरानी बस को राज्य में संचालित नहीं करेंगे। इन्हें दूसरे राज्य में उस बस को चलाने के लिए विभाग से एनओसी लेनी होगी। यदि कोई विक्रम संचालक अपने वाहन का स्क्रैपिंग प्रमाण पत्र प्रस्तुत करते हुए परमिट समर्पित करता है तो उसे 25 से 32 सीटर सीएनजी अथवा वैकल्पिक ईंधन बस खरीदने पर भी 50 प्रतिशत अथवा अधिकतम 15 लाख का अनुदान दिया जाएगा। यदि कोई विक्रम संचालक अपने वाहन को सीएनजी अथवा वैकल्पिक ईंधन ओमनी बस बीएस छह में परिवर्तित करता है तो वह एक विक्रम परमिट के सापेक्ष एक ओमनी बस का परमिट ले सकता है। प्रोत्साहन के रूप में उसे वाहन का 50 प्रतिशत अधिकतम 3.50 लाख का अनुदान दिया जाएगा।