October 14, 2025

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सरल और संक्षिप्त

इंडस्ट्रियल समिट – 2019 हरिद्वार में

आगामी 27 और 28 सितम्बर को हरिद्वार में उत्तराखण्ड इंडस्ट्रियल समिट-2019 का आयोजन किया जा रहा है। इस समिट में देशभर से निवेशकों को बुलाया गया है।

ख़ास बात:

  • उत्तराखण्ड इंडस्ट्रियल समिट-2019 आगामी 27 और 28 सितम्बर को हरिद्वार में।
  • इस समिट का आयोजन भारतीय औद्योगिक परिसंघ (सीआईआई) और उत्तराखंड सरकार मिलकर कर रहे हैं।
  • पिछले 11 महीने में प्रदेश में अब तक 17,246 करोड़ रुपये का निवेश हुआ।
  • पिछले साल इन्वेस्टर्स समिट में एक लाख 24 हजार करोड़ रुपये के एमओयू साइन हुए थे।

देहरादून: आगामी 27 और 28 सितम्बर को हरिद्वार में उत्तराखण्ड इंडस्ट्रियल समिट-2019 का आयोजन किया जा रहा है। ये समिट पिछले साल हुई इन्वेस्टर समिट का फॉलोअप करने के लिए किया जा रहा है। इस समिट में देशभर से निवेशकों को बुलाया गया है।

इस समिट का आयोजन भारतीय औद्योगिक परिसंघ (सीआईआई) और उत्तराखंड सरकार मिलकर कर रहे हैं। इसमें राज्य में औद्योगिकीकरण की दशा और दिशा पर मंथन होगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस समिट को लेकर कहा कि पिछले 11 महीने में प्रदेश में अब तक 17,246 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। इस समिट में निवेशकों की समस्याओं का समाधान होगा।

प्रदेश सरकार ने अभी तक जो भी एमओयू साइन किए हैं, इस दौरान उन्हें भी आगे बढ़ाया जाएगा। पिछले साल इन्वेस्टर्स समिट में एक लाख 24 हजार करोड़ रुपये के एमओयू साइन हुए थे और 7 और 8 अक्टूबर 2018 को इन्वेस्टर समिट आयोजित हुआ था।

सीएम त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि जिन इन्वेस्टरों ने उत्तराखंड में काम शुरू किया है उनको भी आमंत्रित किया गया है। वे सभी जिन परियोजनाओं में काम कर रहे हैं उसके अनुभवों को भी वो साँझा करेंगे। सीएम त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि समिट हरिद्वार के बीएचईएल में होगा। इसकी प्रदर्शनी सिडकुल में आयोजित की जाएगी। प्रदर्शनी में इंजीनियरिंग, मैन्युफैक्चरिंग, ऑटोमोबाइल सेक्टर शामिल होंगे। सीएम ने कहा कि समिट में कुछ नए निवेश प्रस्तावों के एमओयू पर भी साइन होने की उम्मीद हैं।

इस बीच समिट पर कांग्रेस ने कटाक्ष किया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि त्रिवेंद्र सरकार ने पिछले साल भी देहरादून में इंवेस्टर समिट कराई थी लेकिन धरातल पर उसका कोई सकारात्मक फायदा देखने को नहीं मिला बेरोजगारों के पास रोजगार नहीं, अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चौपट है, हजारों करोड का निवेश सिर्फ कागजों में हो रहा है धरातल पर नहीं।

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