चंद्रयान-2 लैंडिंग विफल: विक्रम से संपर्क टूटा
1 min readख़ास बात
- चंद्रयान-2 का चांद पर उतरने से ठीक पहले संपर्क टूटा
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाया
- आज चंद्रमा को छूने की हमारी इच्छाशक्ति और दृढ़ हुई है, संकल्प और प्रबल हुआ है: मोदी
बेंगलुरु: भारत का चंद्रयान-2 शनिवार को एक ऐतिहासिक उपलब्धि के बहुत करीब आ कर विफल हो गया जब , चंद्रमा की सतह से सिर्फ 2.1 किमी लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया। ISRO के ग्राउंड स्टेशन ने लैंडर विक्रम से संपर्क तब खो दिया जब वह चंद्र सतह से केवल 2.1 किमी ऊपर था व उस पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला था ।
हालांकि, इसरो ने कहा कि यह सुनिश्चित नहीं है कि लैंडर दुर्घटनाग्रस्त हुआ या नहीं। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि वर्तमान में वह उपलब्ध आंकड़ों का विश्लेषण कर रही है ताकि वह समझ सके कि संपर्क टूटने के पीछे क्या कारण रहा व उचित विश्लेषण के पश्चात ही निष्कर्षों को बाद में सार्वजनिक किया जाएगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के सिवन ने संपर्क टूटने की घोषणा करते हुए कहा कि चंद्रमा की सतह से 2.1 किमी पहले तक लैंडर का प्रदर्शन योजना के अनुरूप था।
उन्होंने कहा कि उसके बाद उसका संपर्क टूट गया. शनिवार सुबह लगभग 1.38 बजे जब 30 किलोमीटर की ऊंचाई से 1,680 मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से 1,471 किलोग्राम का विक्रम चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ना शुरू हुआ, तब सबकुछ ठीक था।
Watch Live : Landing of Chandrayaan2 on Lunar Surface https://t.co/zooxv9IBe2
— ISRO (@isro) September 6, 2019
इसरो ने एक आधिकारिक बयान में कहा, “यह मिशन कंट्रोल सेंटर है. विक्रम लैंडर योजना अनुरूप उतर रहा था और गंतव्य से 2.1 किलोमीटर पहले तक उसका प्रदर्शन सामान्य था. उसके बाद लैंडर का संपर्क जमीन पर स्थित केंद्र से टूट गया। डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है.” इसरो के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क केंद्र के स्क्रीन पर देखा गया कि विक्रम अपने निर्धारित रास्ते से थोड़ा हट गया और उसके बाद संपर्क टूट गया।
चंद्रयान-2 की लैंडिंग देखने के लिए बेंगलुरु में ISRO टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (ISTRAC) में मौजूद प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ISRO के वैज्ञानिकों का मनोबल बढ़ाया।
“जीवन उतार-चढ़ाव से भरा है। यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। पूरे देश को आप पर गर्व है। सर्वश्रेष्ठ के लिए आशा है,” प्रधानमंत्री ने कहा।
हालाँकि लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के साथ संचार खो गया है, 100 किमी की कक्षा में ऑर्बिटर सफलतापूर्वक कार्यात्मक है। फिलहाल 978 करोड़ रुपये लागत वाले चंद्रयान-2 मिशन का भविष्य अंधेरे में झूल गया है।